चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास, घूमने की जानकारी Chittorgarh Fort History
हेलो दोस्तों कैसे हो आप सब आज की इस ब्लॉग में मैं आपको राजस्थान के एक ऐतिहासिक और वीर भूमि चितौड़गढ़ के किले के बारे में बताऊंगा और साथ ही मैं आपको यहां पर कैसे आना है, घूमने का क्या समय है टिकट फीस क्या है और क्या-क्या देखने लायक चीज हैं इन सब के बारे में मैं आपको डिटेल में बताऊंगा।
Read More - उदयपुर की बागोर की हवेली का इतिहास, घूमने का समय, एंट्री फीस
दोस्तों मेवाड़ का जो यह फोर्ट है चित्तौड़गढ़ यह पूरे एशिया का सबसे बड़ा फोर्ट है, दोस्तों चित्तौड़गढ़ का यह फोटो लगभग 700 एकड़ में फैला हुआ है और जो इसकी दीवारें हैं वह लगभग 13 किलोमीटर लंबी दीवारें हैं जिसकी वजह से यह पूरे भारत का यूनिकोड माना जाता है। इसके लिए मैं लगभग 113 मंदिर 84 पानी के कुंड और कई ऐसे ऐतिहासिक जगह बनी हुई है।
चितौड़गढ़ फोर्ट में लगभग तीन भाग फैला हुआ है और पहला भाग में यहां की जो लोकल लोग वह रहते हैं जिनकी आबादी लगभग 5000 है और दूसरे भाग में किला बना हुआ है और उसके पीछे तीसरे भाग में पूरा जंगल बना हुआ है, और यहीं पर भी रानी पद्मावती का महल भी था।
दोस्तों चितौड़गढ़ फोर्ट जो है वह उदयपुर से लगभग 160 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है तो आप अगर अभी उदयपुर की सीरीज को फॉलो करते हो तो आप उदयपुर से यहां पर डायरेक्ट ऑनलाइन के बुकिंग या फिर कोई बस से आ सकते हो और दोस्तों अगर आप अपने शहर से यहां पर आना चाहते तो आप चाहे तो प्लीज फ्लाइट ट्रेन या फिर कोई बस वगैरा बुक करके आप यहां पर चित्तौड़गढ़ सकते हो और फिर चित्तौड़गढ़ से आप ऑनलाइन टैक्सी वगैरह करके चितौड़गढ़ फोर्ट पहुंच सकते हैं।
चितौड़गढ़
फोर्ट टिकट प्राइस - Chittorgarh
Fort Ticket Prices
दोस्तों चितौड़गढ़ फोर्ट घूमने के लिए आपको ₹40 पे करना पड़ता है अगर आप भारतीय नागरिक है और वही फॉरेनर व्यक्ति के लिए लगभग ₹60 हैं तो उसको बता दो कि आपको यह टिकट पूरे चितौड़गढ़ फोर्ट घूमने के लिए काम आएगी और आपको कोई एक्स्ट्रा पर नहीं करना पड़ेगा।
चित्तौड़गढ़
किले का इतिहास - History of
Chittorgarh Fort
दोस्तों 1433 ईस्वी में चित्रांग मौर्य वंश के जो राजा थे उन्होंने चित्तौड़गढ़ किले की नींव रखी थी, जिसके कारण इस फोर्ट को सबसे पहले चित्रकूट के नाम से भी जाना जाता है। और बाद में जो यहां की तो शासक हुए महाराणा कुंभा सिंह जिन्होंने दोस्तों यहां पर साथ बड़े-बड़े गेट बनाए थे जिसमें मुख्य गेट सूरज पोल है जहां पर सूर्य की पहली किरण इसको टच करती है। और दोस्तों सूरज पोल वही बोले जहां पर अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती को पाने के लिए हमला कर दिया था।
दोस्तों आप यह जो ग्राउंड देख रहे हो यह उसे समय जौहर कुंड हुआ करता था और जो पद्मावती रानी थी और उनके साथ 16000 ने यहां पर जीते जी आधुनिक कुंड में चले गए थे जिन्होंने जोहर कर दिया था जब अलाउद्दीन खिलजी ने इस पर विजय प्राप्त करी थी और आज के समय में इसे बंद करके एक ग्राउंड बना दिया गया
अभी जो आप फोटो में देख रहे हो इसका नाम है विजय स्तंभ किसके बारे में आपने सुना होगा दोस्तों यह सिस्टम जब यहां के जो राणा महाकुंभ में गुजरात पर और मालवा पर अपनी जीत हासिल करी थी तो उनकी याद में यह विजय स्तंभ बनवाया गया था। और इसे बनाने में लगभग 10 साल का समय लगा था। इसको बनाने में लगभग 90 लख रुपए का खर्चा आएगा जो की सामान्य में बहुत ज्यादा रुपए थे और इसकी जो ऊंचाई है वह 22 फिट है।
अभी जो दोस्तों आप यह देख रहे हो कुंड जैसे गौमुख कुंड कहते हैं तो उसको बता दे कि उसे समय रानी पद्मिनी इस कुंड में नहाने के लिए अपने राशियों के साथ आया करती थी और इसके लिए मैं लगभग 84 ऐसे छोटे-बड़े कुंड और भी मौजूद है। दोस्तों इसके लिए मैं रानी पद्मिनी के लिए दो अलग-अलग महल बनाए गए हैं तो चलते हैं सबसे पहले महल विंटर महल में।
Read More - Best Tips For Amarnath Yatra 2025 in Hindi
और दोस्तों अभी जो आप यह पिक्चर देख रहे हो यह वह कमरा है जिसमें अलाउद्दीन खिलजी को पहली बार लाया गया था और इसी कमरे से अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी को पहली बार देखा था। और उसके ठीक सामने ही पद्मिनी का पैलेस बना हुआ है जो की पानी के ऊपर है।
जब दोस्तों अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती को पानी की रिफ्लेक्शन से देखा तो वह मोहित हो गया और उन्होंने चित्तौड़गढ़ के किले पर आक्रमण करने की प्रारंभ कर लिया। और उसके बाद सन 1303 अलाउद्दीन खिलजी ने इस चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण कर दिया था जिसके और युद्ध को भी जीत दिया था और फिर बाद में रानी पद्मावती अपनी गुप्त रास्ते से निकलकर जोहर कर दिया था।.
दोस्तों अपनी पिक्चर आप देख रहे हो यहां पर जो महाराणा कुंभाल थे वह सुबह आकर सूर्य नमस्कार करते थे और जो उसके पास में आप तबला देख रहे हो उसमें महाराणा कुंभा के घोड़े बांधे जाते थे। दोस्तों बनाने की महाराणा कुंभा ने अपने राजा होते हुए लगभग 34 किले अलग-अलग बनवाए थे इसमें से चित्तौड़ का किला भी आता है।
दोस्तों बता दे की महाराणा कुंभा अपने समय के शक्तिशाली राजा थे जिन्होंने काफी सारे युद्ध लड़े और युद्ध जीते भी थे जिसमें उन्होंने दिल्ली के अलाउद्दीन खिलजी को भी हराया था और गुजरात के राजा को भी हराया था जिसके याद में विजय स्तंभ बनाया गया है तो दोस्तों आप जब भी चित्तौड़गढ़ घूमने आए तो महाराणा कुंभा का महल जरूरदेखें।
दोस्तों अब सामने जो मंदिर देख रहे हैं इसका नाम है ओम श्याम मंदिर और दोस्तों बता दे की चित्तौड़गढ़ में छोटे बड़े मंदिर मिलाकर लगभग 130 मंदिर बने हुए हैं, दोस्तों इस मंदिर का जो निर्माण है वह गुजरात की जो शासन राजा हुए महाराणा बप्पा रावण ने बनवाया था और सबसे पहले इस मंदिर में विष्णु जी की पूजा की जाती। और फिर दोस्तों जब अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ किले पर राज किया तो इस मंदिर के साथ-साथ और भी कई मंदिर तोड़ दिए थे।
दोस्तों बता दे कि जब हिंदू धर्म में कोई मूर्ति खंडित होती है तो उसकी पूजा पाठ नहीं करते हैं तो यह सब देखते हुए महाराणा कुंभा ने जो टूटी हुई मूर्तियां थी उन सबको बनाकर इस मंदिर में तीन मूर्तियां बनाई जो दोस्तों सबसे पहले गणेश जी बलराम और राधा कृष्ण की मूर्तियां हैं, तो अंततः इस मंदिर का निर्माण महाराणा कुंभा ने करवाया था और इसे कुंभ श्याम नाम से भी जानते हैं।
Read More - उदयपुर के सिटी पैलेस की जानकारी, इतिहास
तो दोस्तों ऐसी मंदिर के आसपास ही आपको मीराबाई का मंदिर दिख जाएगा, दोस्तों मीराबाई की जो शादी थी वह राजा भोजराज सिंह से हो गई थी और जैसा कि हम सभी जानते हैं जो मीराबाई थी वह राधा कृष्ण की परम भक्त थी, दोस्तों मेरा भाई साधु-संतों के साथ काफी ज्यादा उठाती बैठी थी और यह बात इनके देवर को अच्छी नहीं लगी तो उन्होंने इसी मंदिर में मीराबाई को दो बार करने का ट्राई भी किया था।, लेकिन फिर भी उनको कुछ नहीं हुआ।
अब दोस्तों जो यह सामने आप व्यू देख रहे हो जिसमें आपको पहाड़ नजर आया है इसे कुंभकरण पहाड़ कहते हैं जो की अरावली पर्वत से लिंक है तो उसे बता दे कि इस कुंभकरण पहाड़ इसलिए कहते हैं क्योंकि जो इसका स्ट्रक्चर है वह कुंभकरण के सोते हुए जैसा दिखाई देता है अगर आप उसे गौर से और पास से दिखे तो। और जो आपको यह खेती बाड़ी का जो एरिया दिखाई दे रहा है यह उसे समय जंग का प्रदान हुआ करता था। और दूसरा यही अलाउद्दीन खिलजी और राम रतन सिंह का युद्ध हुआ था जिन में राम रतन सिंह पराजित हो गए थे।
Read More - जल महल जयपुर का इतिहास, घूमने की जानकारी
अभी जो अभी जो स्तंभ देख रहे हैं ऐसे करती सब कहते हैं और इसे जैनियों द्वारा बनवाया गया था दोस्तों बता दे की चार मंजिला यह इमारत लगभग 72 फीट ऊंची है, और इसी स्तंभ को देखते हुए महाराणा कुंभा ने विजय स्तंभ का निर्माण करवाया था।
निष्कर
अब दोस्तों आप समझ गए होंगे कि चित्तौड़गढ़ को वीर भूमि क्यों कहा जाता है क्योंकि यहां पर कई सारे ऐसे वीर हुए हैं जिन्होंने अपनी आन बान शान बनाए रखने के लिए अपने सर दर्द से अलग करवा दिए थे और यहां पर जो रानी पद्मावती ने जौहर किया था वह भी अपने आप में ही एक साहसी बड़ा काम था।
अगर दोस्तों आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आती है तो प्लीज आप हमारे इस वेबसाइट को फॉलो करें और आगे से जरूर शेयर करें।