उदयपुर की बागोर की हवेली का इतिहास, घूमने का समय, एंट्री फीस, घूमने की जानकारी
हेलो दोस्तों कैसे हो आप सब आशा करता हूं कि आप सब ठीक होंगे तो दोस्तों आज के इस न्यू आर्टिकल में मैं आपको उदयपुर के एक और टूरिस्ट प्लेस बागोर की हवेली के बारे में बताऊंगा और साथ ही मैं आपको यहां पर कैसे आना है इसकी टिकट फीस क्या है और कौन से समय में घूमने उचित रहेगा इसके बारे में भी मैं आपको जानकारी दूंगा।
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बागोर की हवेली लगभग ढाई सौ साल पुरानी हवेली है और दोस्तों और यहां पर चार महारनाओं का बचपन भी बीता है और इसमें ऐसी कई सारी ऐतिहासिक और पुरानी चीज हैं इसके बारे में मैं आपको बताऊंगा जिसका इस्तेमाल पुराने समय में यहां के राजा महाराजा और कैम आर्यन महारानी अभी किया करती थी, और कुछ अद्भुत नकाशी करी गई हवेलियों और शीश महल के बारे में आप जानकर आशीष चकित हो जाएंगे।
बागोर की हवेली कैसे पहुंचे - H ow to Reach Bagor Ki Haveli
दोस्तों अगर आप किसी भी शहर में रहते हैं तो वहां से आप चाहे तो ट्रेन या फिर फ्लाइट या फिर अपनी प्राइवेट सीएबी करके उदयपुर आ जाना है, और उदयपुर से आपको पिछोला झील के लिए रवाना हो जाना है और वहां से कई सारी ऑटो रिक्शा जाती है जिससे आप उदयपुर से पिछोला झील तक आ जान है, और पिछोला झील के ठीक पास में गणगौर घाट है वहां पर ही यह आपको हवेली देखने को मिल जाएगी।
बागोर की हवेली का इतिहास - History of Bagor Ki Haveli Udaipur
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बागोर की होली लगभग 270 साल पुरानी है और इसका निर्माण सन 1721 ईस्वी में किया गया था, रॉयल फैमिली के रहने के लिए करवाया गया था और उसमें चार महाराणा का बचपन भी बीता हुआ है। उदयपुर के जो राजा थे उनके छोटे भाई को बागोर की हवेली के साथ-साथ 15 और भी गांव दिए गए थे जिसमें वह सभी गांव से टैक्स वसूल कर कर राजा को देते थे।
दोस्तों
लगभग 1947 तक यह
हवेली यहां के राजाओं महाराजाओं
के अधीन थी परंतु दोस्तों
देश आजाद होने
के बाद गवर्नमेंट
ने 1958 को यह हवेली भारतीय
कल्चर मिनिस्ट्री को
शॉप दी और उन्होंने इसे रिनोवेट
करके एक टूरिस्ट
स्पॉट और एक हेरीटेज म्यूजियम बना
दिया। ऐसी ही लगभग 148 और भी हवेलियां उदयपुर में
बनी हुई है और जो
बागोर की हवेली
है वह इन सभी में
से बड़ी है।
प्रेजेंट टाइम की अगर बात करें तो इस पूरे अगर की हवेली में लगभग 138 कमरे हैं जिसमें से 90 कमरों में अभी तक मिनिस्ट्री आफ कल्चर के ऑफिस बने हुए हैं और जो बाकी बचे हुए कमरे हैं उन्हें रिनोवेट करके यहां पर टूरिस्ट के लिए देखने लायक बनाए गए हैं।
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बागोर की हवेली में घूमने के लिए जगह
तो वैसे तो बागोर की हवेली बहुत बड़ी हवेली मानी जाती है जिसमें हमें देखने के लिए कई सारे म्यूजियम और पुरानी चीज देखने को मिल जाएगी तो सबसे शुरुआत करते हैं म्यूजियम से तू तो जैसे ही आप इस म्यूजियम में इंटर होंगे आपको सबसे पहले यहां पर गणेश जी का मंदिर नजर आएगा जो कि लगभग 270 साल पुराना है और आज भी वैसे ही इसकी पूजा की जाती है।
कुछ दूर चलते ही आपको एक चौकी दिखाई देगी और दोस्तों बताया जाता है कि इस चौकी में टूरिस्ट के लिए हर रात को एक राजस्थानी कल्चर शो आयोजित होता है जो की मिनिस्ट्री आफ कलर्स द्वारा आयोजित करवाया जाता है और इसमें राजस्थान की जो कला संस्कृति और जो सिंगर है वह आते हैं और टूरिस्टका मनोरंजन करते हैं, और यह प्रोग्राम साथ से 8:00 बजे शाम को शुरू हो जाता है।
कुछ दूर चलते ही आपके यहां की जो कुलदेवी का मंदिर आपको दिखाई देगा और दोस्तों जो स्कूल लगेगी मंदिर की छाते हैं वह 200 साल पुरानी चाहते हैं जो ऐसी की ऐसी पड़ी हुई है, और आज भी इस मंदिर में हर दिन दियाचलता है। और उसकी ठीक पास में ही यहां का जो पुराना स्विमिंग पूल बना हुआ है दिन में 14 कम नहाती थी और पास में जो चेंजिंग रूम भी बने हुए हैं।
और दोस्तों अभी आप यह जो पेंटिंग देख रहे हो जो की दीवार पर करी गई है वह है एकदम नेचुरल और कार्बनिक कलर्स द्वारा बनाई गई है और जो की दोस्तों लगभग 200 साल पुरानी है, और दोस्तों इस मूर्ति में आपके यहां के जो अपने हिंदू धर्म की देवी देवताओं की प्रतिमा दिखाई देगी दिन में वह नाच रहे हैं।
ठाकुर की हवेली के ऊपर का जो दृश्य है वहां से आप पूरे उदयपुर की जो पिछोला झील को पूरी तरह से देख सकते हो यूट्यूब पिछोला झील का जो पानी है वह अरावली पर्वत के पहाड़ों से आता है जब बरसात आई है जब राजस्थान में सूखा पड़ जाता है तब पिछला जेल का छुपानी है वह भी सुकून लग जाता है। और दोस्तों जो आप भी सामने देख रहे हो यह पुरानी हवेलियां जिनको आज के समय में रेस्टोरेंट और गेस्ट हाउस में कन्वर्ट कर दिया गया है।
अभी आप जो पिक्चर देख रहे हो इसमें आपको एक अरावली पहाड़ी दिखाई देगी और उसी पहाड़ी पर जो उदयपुर में स्थित सज्जनगढ़ पैलेस बना हुआ है जिन्हें आज की भाषा में हम मानसून पैलेस कहते हैं यह दो कौन से पहले से महाराणा प्रताप ने बनवाया था। ऐसे ही आपको कई सारे और भी पर्यटन स्थल उदयपुर में देखने को मिल जाएंगे।
दोस्तों वास्तुकार के हिसाब से जो इस हवेली का जो निर्माण हुआ था वह 1751 ईस्वी में हुआ था, सबसे पहले इसमें लेडिस अपार्टमेंट बनाया गया था जो कि आज के समय में एग्रीकल्चर मिनिस्टर ने इस म्यूजियम में तब्दील कर दिया है उसकी कारगिल भी आप ऊपर से देख सकते हो की कितनी अदभुत है।
थोड़ा और चलते ही आपको छत के ऊपर में लेडिस अपार्टमेंट का एंट्रेंस गेट मिल जाएगा इसके बाहर हाथी के पिलर से लगाए हुए हैं जो की गणेश जी को दर्शाते हैं, ओरिएंटल होते ही आपको कांच की कई सारी पेंटिंग्स नजर आएगी।
इसकी ठीक सामने आपको मेवाड़ के जो ईश्वर देवता चले महाराजा महाराजा अपने समय में पूछते थे उनकी बुद्धि आपको दिखाई देगी, और इसका मंदिर उदयपुर से 25 किलोमीटर दूर बना हुआ है अगर आप चाहे तो घूम सकते हैं।
अब जो दोस्तों यह पिक्चर देख रहे हो यह पुराने के समय में एक रिसेप्शनिस्ट एरिया हुआ करता था जब भी कोई रानी आई और उसके साथ कोई अपनी सहेली आती तो यहां पर बैठकर उसका इंतजार करते थे, उसने बैठने के लिए केवल पिलो और फर्नीचर नहीं हुआ करते थे तो कारपेंटर की पर बैठे थे। और आपको इसी रूप में उसे समय के पंख दिखाई देंगे जो कि यहां की जाता से होती थी वह अपने हाथों से बाहर डोरी खींच कर चला दी थी।
इसी रुम में उसके पास ही स्मोकिंग एरिया दिख जाएगा और यहां पर जो रानी होती थी वह जाकर स्मोकिंग करती थी जो की आप ओके से करती थी जिसका फोटो आप पिक्चर में देख सकते हो इसमें तंबाकू डालकर वह का खींचते थे।
ऐसी रूम में ही अपनी रानियां के लिए राजाओं ने फेंसिंग रूम बनवाया था जिसमें रानियां जाकर मेकअप करते थे और बेगम की जो समान है वह आप यहां पर देख सकते हो जिनमें रानी ने अपने मेकअप का सामान लिपस्टिक और कॉस्मेटिकरखती थी। और जब आप इस रूम में आओगे तो आपको पुराने समय में उसे होने वाली सभी मेकअप की चीज यहां पर रखी गई है जिसे आप पेपर दे सकते हैं जैसे की गंगा कांच और भी चीज हैं।
अब
जो दोस्तों आप
यह जो खड़े देख रहे
हो इसमें पुराने
समय में रानियां
खुशबूदार पानी डालो
कर रखती थी जिससे कि
आगे उनका रूम
सुगंधित रहे और जो रानी
और दीदी वह यहीं बैठकर
आनंद लेते थे।