जयपुर के आमेर किले का इतिहास और घूमने की जानकारी

जयपुर के आमेर किले का इतिहास और घूमने की जानकारी

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हेलो दोस्तों कैसे हो आप सब स्वागत करता हूं आपका मेरे इस न्यू आर्टिकल में और दोस्तों इसलिए आर्टिकल में है आपको जयपुर का एक खूबसूरत पर्यटन स्थल और एक ऐतिहासिक फोर्ट जिसे हम आमेर किले के नाम से जानते हैं उसके बारे में आज आपको मैं सारी जानकारी दूंगा।


A road with trees and buildings in the background

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और साथ में आपको बताऊंगा कि आप इसे कैसे आसानी से घूम सकते हैं और एक छोटा सा आपको ट्रैवल गाइड भी देने वाला हूं तो आपसे निवेदन है कि आप इस आर्टिकल को पूरा जरूर करें और यदि आपको यह पसंद आता है तो प्लीज जाकर आप उसे शेयर जरूर करें। 

People riding elephants in front of a building

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तो बता देखी इस किले की नीव मिर्जा राजा मानसिंह प्रथम महाराज द्वारा 1589 में रखी गई थीउसे समय राजा मानसिंह जी मुगल साम्राज्य के सेनापति के तौर पर काम किया करते थे। और इसके लिए मैं राज परिवार के लोग रहा करते थे और इस किले की सुरक्षा के लिए आसपास की दीवानों को काफी बड़ा बनाया गया था और साथ ही साथ इस पर कोई आंसू ना सके इसके लिए एक जयगढ़ नाम के दुर्गा का भी निर्माण किया करवाया गया था। 

A large wheels on a vehicle

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दोस्तों बता दे की आमेर किले से इंजोयगढ़ के लिए तक जाने के लिए गुप्त सुरंग भी बनी हुई है जो की जमीन के नीचे हैं और दोस्तों बताया जाता है कि इसकी लंबाई लगभग 2 किलोमीटर है। दोस्तों बता दे कि आमिर किले के ऊपर दुनिया की सबसे बड़ी तोप जय वान टोपी बनाई गई थीऔर स्टॉप का वजन लगभग 250 तन है। और दोस्तों इस लोप बस एक ही बार चलाया गया था और दोस्तों बताया जा रहा है कि जिस सैनिकों ने उसको पूछ रहा था उनके कान के पर्दे फट चुके थे। 

 

दोस्तों अगर आप मेरी मां ने तो अगर आप जयपुर आते हो तो आमिर खेलने को घूमने के लिए जरूर आए क्योंकि दोस्तों बता दे कि इसके लिए मैं एक बेहतरीन खूबसूरत सी स्माइल भी बना हुआ हैऔर दोस्तों बताया जाता है कि पुराने समय में यहां के राजा अपनी रानियां को मसाला जलाकर दिन के समय में भी चांद और तारे दिखाई करते थे। 

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A stone pit with a hole in it

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आमेर किले जयपुर कैसे पहुंचे 

दोस्तों आप जयपुर से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित आमेर किले से आप अपनी प्राइवेट टैक्सी या फिर टैक्सी रेंट करके भी आ सकते हैं जो कि आपके शहर में स्थित कहीं पर भी मिल जाएगीइसके बाद गेट तक पहुंचाने के बाद आप यहां से पैदल या फिर चाहे तो हाथी की सवारी करके भी घूम सकते हो इसके लिए लगभग आपको 3500 हजार रुपए पे करना पड़ता है। 

आमेर किले का इतिहास 

तो बता देखी इस किले की नीव मिर्जा राजा मानसिंह प्रथम महाराज द्वारा 1589 में रखी गई थीउसे समय राजा मानसिंह जी मुगल साम्राज्य के सेनापति के तौर पर काम किया करते थे।

A group of people standing on a hill

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 जब आप इसके लेकर प्रवेश द्वार में प्रवेश लेते हो तो आपके यहां पर एक पीले कलर का महल दिखाई देगा और दोस्तों बता देगी इसी किले पर महारानी जोधा बाई का जन्म हुआ थाऔर बाद में इनका विवाह मुगल बादशाह अकबर से हो गया था। 

दोस्तों यहां पर जगत शिरोमणि मंदिर भी बना हुआ है और इसके अंदर जो शिव कृष्ण की मूर्ति बनी हुई जो आप देख रहे हो बताया जाता है कि श्री मीराबाई इस मूर्ति की पूजा किया करतीथीदोस्तों बताया जाता है कि जब हल्दीघाटी का युद्ध शुरू हुआ था तो इस मूर्ति को मुगलों से बचकर इस मंदिर में स्थापित किया गया था। 

 

आमेर किले को घूमने की जानकारी 

दोस्तों आमेर किले में आते ही आप चार कोड़ियाद में से पहले कोड़ियाद यानि कि पहले आंगन में पहुंच जाते हो जिसे जलेब चौक भी कहा जाता थाऔर नगाड़ा बजाकर यहां पर ही यहां के स्थानीय लोगों और सैनिकों को कोई एकत्रित किया जाता था। और इसी जगह पर युद्ध की सारी रणनीति और तैयारी की जाती थीदोस्तों इस चौक में दो मुख्य द्वार बनाए गए हैं जिसमें से आपके लिए मैं प्रवेश ले सकते हो सबसे पहले है सूर्य पोल।  

सूरज पोल 

इसमें से एक है सूरज पोल जैसे के नाम से ही पता चलता दोस्तों बताया जाता है कि जब सूर्य की पहली किरण उदय होती है तो सिर्फ इसी पर ही पड़ती है और इसी कारण से इसका नाम सूरजपोल रखा गया है। और पुराने समय में यहां के राजा महाराजा हाथी की सवारी करने के लिए इसी पल से आया जाया करते थे। और आज के समय में भी सुबह 8:00 से लेकर 11:00 बजे तक आप अगर चाहे तो हाथी की सवारी से इस पोल से अंदर और बाहर आ सकते हो। 

और दोस्तों दूसरी तरफ एक और फूल है जिसका नाम है चांदपुर दोस्तों इस फूल का नाम चांदपुर इसलिए रखा गया है क्योंकि चांद यहीं से निकलता है। यह पोल यहां के स्थानीय लोगों के आने जाने के लिए बनाई गई थी। 

चांद पोल

और इसी की ठीक पास ही एक और पोल बनी हुई है जिसका नाम है लायन पोल यानी कि सिंह पोल दोस्तों बताया जाता है कि यहां पर लगभग 400 साल पुरानी अद्भुत और आकर्षक कर देने वाली पेंटिंग भी रखी गई हैजो कि आज भी वैसी की वैसी पड़ी है और दोस्तों इसकी बात हम इस किले दूसरे कोठियाड यानि कि दूसरे आंगन में पहुंच जाते हैं। 

A group of people walking in front of a building

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सिंह पोल 

दोस्तों जैसे ही आप सिंह पोल से अंदर प्रवेश करेंगे तो यहां पर आपको एक खूबसूरत और संगमरमर के पात्रों और 48 स्तंभों के सहारे बना हुआ दीवाने हम नजर आएगा। दीवाने आम यानी कि उसे जमाने का कोड रूम दोस्तों पुराने समय में यहां पर बैठक लगती थी जैसे कि राजा जो यहां की जनता का दुख और कस्टम का निवारण करते हैं वह इन दीवाने आम में बैठते थे और जो प्रजा होती है वह बड़े आंगन में बैठे थी। 

A building with columns and people in front of it

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A group of people in a room with pillars

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दिवाने आम 

दोस्तों यहां पर भी एक पुराने समय का स्नान घर बना हुआ है और दोस्तों बताया जाता है कि पुराने समय में राजा मानसिंह अपनी रानियां के साथ यहां पर ही स्नान किया करते थे। उसको यहां पर सर्दियों के समय में पानी करने की भी एक अद्भुत तकनीक का उपयोग किया गया था। 

 पुराने समय का स्नान घर 

और दोस्तों स्नान घर के पास में ही पुराने समय के शौचालय भी अभी तक बने हुए हैं जिनका उपयोग पुराने समय में राजा महाराजा और उनकी रनिया द्वारा किया जाता था। 

पुराने समय के शौचालय 

दीवाने आम के सामने यह गणेश पोल द्वार बना हुआ है जो कि राजाओं का निजी प्रवेश द्वार हुआ करता था और इस द्वार पर हिंदू देवता भगवान गणेश जी की प्रतिमा और साथ ही में 400 साल पुरानी बहुत ही खूबसूरत नक्काशदार पेंटिंग्स बनी हुई है जिन्हें फ्रेस्को पेंटिंग्स कहा जाता है। 

A large building with many people in front of it

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और इसी गणेश द्वार के बिल्कुल पास में पुराने जमाने की भोजनशाला भी बनी हुई है गणेश पोल द्वार के ऊपर आपको यह सुहाग मंदिर नजर आएगा इस जगह पर विधवा और अविवाहित महिलाओं का आना बिल्कुल भी वर्जित था जब राजा युद्धभूमि में युद्ध लड़ने के लिए जाते थे तब राजाओं के रानियां इसी जगह पर बैठकर राजा की युद्धभूमि में जीतने की दीप प्रज्वलित करके मनोकामना किया करती थी। 

A water body with a stone structure in it

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और जब राजा युद्धभूमि में विजय हासिल करके वापस महल में आते थे तो इसी सुहाग मंदिर में बने हुए इस छोटे से खिड़की से रानियां राजाओं पर फूल बरसाक उनका पुनः स्वागत किया करती थ दीवाने आम के पास बनी हुई यह 27 कचरी 27 कचहरी यानी कि उस जमाने का रिकॉर्ड रूम महाराजा के आधीन उस जमाने में 27 जहांगीर यानी कि 27 राजवाड़े हुआ करते थे। 

A building with a dome and a building with trees and a hill in the background

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और उन 27 राजोड़ का लेखाजोखा इसी जगह पर किया जाता था इस जगह पर अलग-अलग 27 खाने बने हुई है और इन खानों में राजा के मंत्री बैठकर उन 27 का अकाउंट यानी कि हिसाब किताब इसी जगह पर किया करते थे इसीलिए इस जगह को 27 कचरी कहा जाता है। 

A large building next to a body of water

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निष्कर्ष 

तो दोस्तों आस करता हु आपको मेरे द्वारा की गई जानकारी जरूर पसंद आय होगीऔर आगे ऐसी जानकारी जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट को फॉल करले

 

 

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